Sunday 6 December 2015

दफ्तर की बॉस और बिस्तर का बॉस (पार्ट – 1)

“Guys, client is not God. He is bigger than God. You can afford to disappoint God, but you cannot afford to disappoint your client. Understood!” सुनंदा बावा की आवाज़ पूरे कांफ्रेंस हॉल में गूंजी.

हॉल में तकरीबन आधे दर्जन लोग चुपचाप बैठे उसकी आवाज़ सुन रहे थे. चारों तरफ दीवारों पर इंटरनेशनल ad campaigns के पोस्टर लगे हुए थे. वो पोस्टर भी सहम से गए थे. सुनंदा के सामने सबकी फटती थी. और जब सबकी फटने लगती थी तो सुनंदा रुकती नहीं थी. वो तब तक फाड़ती जाती थी जब तक सामने वाले के चेहरे पर  रहम की भीख मांगने जैसे भाव न आ जाएँ.

“अगर next time मुझे क्लाइंट से एक भी stinker mail आया then I’m going to take each and everyone’s asses royally. मुश्किल से मैं अकाउंट लाती हूँ और तुम चूतियों की वजह से if we lose those accounts, तुम लोगों की जॉब जायेगी. And you must have seen I don’t give empty threats,” सुनंदा बड़े आराम से शांत आवाज़ में बोलती चली गयी जैसे सिंदबाद की कहानियां सुना रही हो.

सुनंदा वाइट बोर्ड के पास खड़ी थी. उससे तकरीबन चार फीट की दूरी पर एक बड़ी सी टेबल थी जिसके दोनों ओर तीन-तीन लोग बैठे थे. एक तरफ अनन्या, विशाल और पार्थो थे तो दूसरी तरफ सुमना, अचल और विदिशा थे. सुमना का चेहरा सुनंदा की आवाज़ सुनकर लाल हुआ जा रहा था. अचल चुपचाप डेस्क की ओर देखे जा रहा था. विदिशा के चेहरे पर अजीब तरह के भाव आ रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे वो कुछ दबाने की कोशिश कर रही थी.

टेबल के नीचे अचल के दायें हाथ की उंगलियाँ मोर के पंख की तरह विदिशा के हाथों और कलाइयों को स्पर्श कर रही थीं और बड़े आराम से इधर-उधर उसकी त्वचा को छेड़ रहीं थीं. वो अपने नाखूनों की नोक को विदिशा की उँगलियों पर ले जाता था, फिर हलके-हलके उसकी हथेली के पिछले हिस्से पर रगड़ते हुए उसकी कलाइयों तक ले जाता था. यह मद्धिम-मद्धिम स्पर्श विदिशा को ऐसी गुदगुदी दे रहा था कि उसकी समझ में नहीं आ रहा थी कि वो क्या करे. जब उससे कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने अपनी जींस की ज़िप खोली और अचल के हाथ को वहाँ रख दिया. अचल ने अपनी मध्यमा (middle finger) जींस के अन्दर घुसाई और उसकी मखमली पैंटी पर ऊपर-नीचे, नीचे-ऊपर रगड़ने लगा.

विदिशा ने अपनी जांघें खोल लीं ताकि अचल को थोडा स्पेस मिल सके. अचल अब अपनी उंगली को और भी अन्दर ले गया और विदिशा की पुसी के छेद के अन्दर हल्का से दबाकर वहीं गोल-गोल घुमाने लगा जैसे पेंच कसा जा रहा हो. दस सेकंड के अन्दर उसे महसूस हुआ कि उसकी उंगली भींग गयी है. उसने अपने दोनों हाथों को टेबल के नीचे से निकाला और अपनी नाक के नीचे जोड़कर ऐसे बैठ गया जैसे कुछ सोच रहा हो. फिर उसने अपनी खुशकिस्मत उंगली को अपने होठों के बीच डाल लिया और आँखें बंद कर लीं.

विदिशा समझ गयी कि अचल क्या कर रहा है. न चाहते हुए भी उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ गयी.

“विदिशा, कोई प्रॉब्लम?” सुनंदा की आँखें विदिशा की आँखों पर टिकी हुई थीं.

“No. No, ma’am.” विदिशा चौंक गयी. सेकंड के आधे हिस्से में चेहरे पर मादकता का स्थान डर ने ले लिया था.

“तुम मेरी बातों को ध्यान से नहीं सुन रही हो. Something else is occupying your mind?”

“No. ma’am. ऐसा कुछ भी नहीं है. I was paying full attention to you,” विदिशा की पैंट और भी गीली हुई जा रही थी. पर उसकी वजह अचल नहीं, सुनंदा थी.

“ओके. आगे से ध्यान रखना. Nothing goes unnoticed in this office.”

“Yes, ma’am,” विदिशा की भींगी बिल्ली सी आवाज़ निकली.

सुनंदा ने पूरे हॉल को देखा और बोली, “चलो, आज की मीटिंग यहीं ख़त्म करती हूँ. Guys, you should understand कि हमारा bread and butter हमारे क्लाइंट ही provide करते हैं. उनको खुश रखो, टाइम पर डिलीवर करो, and everything is going to be fine. Simple!”

सभी ने एक साथ दबी आवाज़ में ‘ओके’ कहा और हॉल से निकलने लगे. सुनंदा तिरछी नज़रों से विदिशा की कमर के निचले हिस्से को देख रही थी. उसने देखा विदिशा की जांघें एक-दूसरे से कुछ ज़्यादा ही रगड़ खा रही थीं. उसके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान आ गयी.

“अचल, ज़रा रुकना. तुमसे कुछ बात करनी है,” सुनंदा बोली.

अचल बड़े अदब से रुक गया. बाकी सारे लोग हॉल से निकल गए. सुनंदा ने दरवाज़ा बंद किया.

You motherfucker! तू मेरी मीटिंग में भी शुरू हो जाता है!” सुनंदा ने अचल की आँखों में अपने आँखें भोंकते हुआ कहा.

“क्या बात कर रही हैं आप?” अचल ने निर्दोष चेहरा बनाकर कहा.

“तुझे नहीं पता मैं क्या बात कर रही हूँ?”

“देखिये, मैं तो उस बेचारी का डर कम कर रहा था. आपको तो पता ही है यहाँ लोग आपसे कितना खौफ खाते हैं.”

“ज़रा उस उंगली को दिखाना जिससे तू लड़कियों का डर कम करता है.”

“नहीं दिखाउंगा. आपको लगेगा मैं आपको middle finger दिखा रहा हूँ.”

Rascal!” सुनंदा ने प्यार भरी गाली दी, “अच्छा सुन. आज रात तू उसके साथ तो नहीं है?”

“नहीं, उसके पेरेंट्स आये हुए हैं. मेरा दो-तीन रातों से उपवास चल रहा है.”

“ओके. 11 o’clock is fine with you?”

“11:30.”

“Ok. Done,” सुनंदा ने कहा.

“अभी शुरू भी नहीं किया है और आप done बोल रही हैं,” अचल ने सुनंदा की ओर झुककर कहा.

“हा हा हा! You are a complete bastard.”

तभी तो आप मुझ पर फ़िदा हैं.”

“मैं तुझपर फ़िदा नहीं हूँ. But yeah, you are not bad.”

अचल ने सुनंदा की टांगों के बीच हलके से चिकोटी काटी और हॉल से निकल गया. सुनंदा ने जोर से अपनी टांगों को एक-दुसरे से दबा लिया. Confidence की जगह उसके चेहरे पर बेबसी की भाव आ गए. अचल उसकी सारी बॉसगिरी एक पल में निकाल देता था और उसकी हालत एक ऐसी बिल्ली जैसी कर देता था जो दूध के लिए अपने मालिक पर पूरी तरह निर्भर है.

पता नहीं उस कमीने में ऐसा था क्या! न देखने में अच्छा था. न बहुत ही अमीर था. न डांस करना जानता था. गंदा और बेतरतीब रहता था. पर उसमें कुछ था. बात करते समय आँखों में ऐसे देखता था जैसे उसने तुम्हारी रूह पर कब्जा जमा लिया है, तुम्हारा मालिक बन बैठा है. उसे अटेंशन दो तो न खुश होता था, और अगर अटेंशन न दो तो परेशान भी नहीं होता था. नदी की धारा में पत्थर की तरह था वो. नदी किस गति से बह रही है, इससे उसकी सेहत पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता था. वो तो अपनी जगह अविचल खडा था. लड़कियां न तो उसे सातवें आसमान में चढ़ा पाती थीं, और न ही उसे खाई में धकेल पाती थीं. वो अपनी दुनिया का शहंशाह था जिसे बताना नहीं पड़ता था कि उसकी अपने मन पर पूरी हुकूमत है.

अचल ऑफिस से निकलकर बाहर लॉन में स्मोक करने चला गया. वो अपने मुंह से धुंए के छल्ले निकाल ही रहा था कि पीछे से किसी ने उसकी पीठ थपथपाई. वो सुमना थी. काले रंग के स्लीवलेस टॉप और जीन्स में उसका दुबला और छरहरा शरीर काफी अच्छा लग रहा था.

“अकेले स्मोक कर रहे हो?” सुमना ने एक सिगरेट निकालते हुए कहा.

“हाँ. मैं सिगरेट के साथ monogamous relationship में हूँ.”

“ओह. Then I’m forcing you to do adultery with me?”

इसे adultery मत कहिये. हाँ. आप इसे threesome कह सकती हैं. Adultery धोखा है. Threesome में कोई धोखा नहीं है.”

“और तुम धोखा देना पसंद नहीं करते.”

“मेरी पसंद नापसंद बदलती रहती है.”

“हम्म! विदिशा तो स्मोक नहीं करती न,” सुमन की आवाज़ में लड़कियों वाली प्रतिद्वंद्विता झलक रही थी.

“मेरे साथ तो कभी नहीं किया. बाकी समय क्या करती है, मुझे इससे मतलब नहीं रहता.”

“और तुम बाकी समय क्या करते हो, इससे वो मतलब रखती है?”

“मैंने कभी पूछा नहीं.”

“इस सैटरडे मूवी चलोगे?”

“विदिशा के पेरेंट्स वापस जा रहे हैं. उनको see-off करने जाना है.”

“ओह! कोई बात नहीं.”

“लेट नाईट शो हो तो चल सकता हूँ.”

“लेट नाईट तो पॉसिबल नहीं होगा.”

“ओके. तब फिर कभी.”

सुमना के साथ पहली बार हुआ था कि उसने किसी लड़के को अपने साथ मूवी चलने को कहा था. उसके साथ ये भी पहली बार हुआ था कि किसी लड़के ने उसके साथ वक़्त बिताने के लिए बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. ऊपर से उसने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया, पर अन्दर ही अन्दर उसे थोड़ा धक्का लगा था. कोई मिला था जो उसकी खूबसूरती की सल्तनत को बिना कुछ बोले चुनौती दे गया.

अचल की सिगरेट ख़त्म हो गयी थी. वो वापस जाने के लिए मुड़ा.

“ओके. लेट नाईट शो. 11 o’clock...” सुमना अपनी बात ख़त्म भी नहीं कर पायी थी कि अचल वहाँ से चला गया. पता नहीं , उसने सुमना की बात सुनी नहीं या सुनकर अनदेखा कर दिया. सुमना उसको जाते हुए देखती रही.

ऑफिस के अन्दर कॉफ़ी मशीन के पास विदिशा खड़ी थी. अचल उसके पीछे अपना कॉफ़ी मग लेकर खडा हो गया. उसकी गर्म साँसें विदिशा की गर्दन से टकराईं तो वह झट से पीछे मुड़ी. पीछे अचल को देखकर उसकी सांस में सांस आई.

“तुम!” विदिशा एक गहरी सांस में बोल गयी.

“हाँ. मैं,” अचल ने शांत स्वर में कहा.

विदिशा ने आस-पास देखा तो कोई नहीं था. उसने अचल के दायें हाथ को उठाया और उसकी मध्यमा को देखने लगी.

“wait कर रही हूँ, यार. पेरेंट्स फ़टाफ़ट वापस जाएँ.”

“थोड़ा वक़्त पेरेंट्स के साथ भी बिता लो.”

“वो तो बिता रही हूँ. Oh, I miss you so much.”

“मेरा सुलतान भी तुम्हें बहुत याद करता है.”

“सुलतान को कहो कि बेगम उसे जल्द ही मिलेगी.”

“तुम ही कह दो.”

You want a quick one-minute blowjob?” विदिशा ने कहा.

“यहाँ कहाँ?”

Meet me in my car. कार्नर में पार्क की है. ठीक पंद्रह मिनट बाद.”

“ठीक है,” अचल ने घड़ी देखते हुए कहा.

ठीक पंद्रह मिनट बाद अचल ने सफ़ेद हौंडा सिटी का पिछला दरवाजा खोला. विदिशा उसी की बाट जोह रही थी.

Come baby, quick,” विदिशा कंट्रोल में नहीं थी.

अचल कार के अन्दर घुसा और आराम से सीट पर बैठ गया जिससे उसकी दोनों टांगें विदिशा की तरफ आ गयीं. विदिशा ने उसके बेल्ट को खोला, जीन्स के बटन को खोला, और जीन्स को नीचे खींचा. फिर उसने अचल की पैंटी के ऊपर से ही उसके कॉक को बुरी तरह से चूमना शुरू कर दिया. अचल का कॉक दो सेकण्ड के अन्दर खडा हो गया. विदिशा ऊपर से ही कॉक को हलके-हलके दांतों से काटने लगी जैसे हम गन्ने को चूसते हैं.

तभी अचल का फ़ोन बजा. उसने फ़ोन रिसीव किया.

“हाँ सुनंदा;  मैं विदिशा के साथ हूँ.”

‘हम बाहर आये हैं. उसे भूख लग रही थी.’

‘हल्का सा स्नैक्स ले रहे हैं. वो ही ले रही है. बस, पांच मिनट में फिनिश करके आते हैं. ओके, बाय.”

विदिशा ने अचल की पैंटी नीचे खींची. उसके मोटे, काले कॉक को देखकर उसकी हालत खराब हो गयी. उसने पैंटी को और नीचे खींचकर कॉक के निचले हिस्से को मुट्ठी में लिया और ऊपर के हिस्से को मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी. अपने होठों और जीभ का पूरा इस्तेमाल करके उसने कॉक को बुरी तरह से चाटा. फिर उसने मुट्ठी से कॉक को मुक्त किया और कॉक जितना अन्दर उसके मुंह के साथ जा सकता था, उसने अन्दर ले लिया. एक सेकंड के लिए कॉक को बाहर निकाला और बोली.

Baby, I love your taste.”

जो कुछ है, तुम्हारा ही है.”

‘Oh, thank you, thank you so much. Please please cum in my mouth.”

यह कहकर वो वापस कॉक को जोर-जोर से चूसने लगी. अचल अपने हाथ से उसके सर के पिछले हिस्से को पकड़कर अपने कॉक की ओर दबाये जा रहा था. फिर अचानक उसका कॉक और भी कडा हो गया. उसमें एक फडकन हुई और उसने अपना सारा लावा विदिशा के मुंह में छोड़ दिया.

विदिशा प्यासी शेरनी की तरह एक-एक बूँद गटक गयी. पूरा लावा निगलने के बाद भी कॉक को चूसती रही कि एकाध बूँद और निकल जाए. जब वो आश्वस्त हो गयी कि अब और कुछ नहीं बचा तभी उसने कॉक की जान छोडी और उसे बाहर निकाला.

फिर उसने कॉक को एक गहरा और लंबा चुम्बन दिया. वापस उसे पैंटी से ढँक दिया, जीन्स पहनाई और बेल्ट लगाया.

“तुम्हें इतना आलसी और कामचोर आशिक कहीं और नहीं मिलेगा,” अचल मुस्कुराया.

“मैं खोजने जाउंगी भी नहीं. तुम बेस्ट हो,” विदिशा अभी भी जीन्स के ऊपर से कॉक के कारण उभरे हिस्से को चूम  रही थी.

“तुम्हारे पेरेंट्स चले जायेंगे तो हम कुछ नया try करेंगे.”

“Aha! What’s in your mind?”

“Your ass. पूरे ऑफिस में तुम्हारे जितनी अच्छी किसी की नहीं है.”

“तुमने पहले भी try किया है. बहुत pain होता है.”

“तुम्हारे pain में ही मेरा gain है.”

“बास्टर्ड!” कहकर विदिशा ने उसे एक प्यारी  चपत लगाई.

“चलो फिर, बॉस मेरा wait कर रही है.”

“हाँ, हाँ चलो.”

अचल जब सुनंदा के केबिन में पहुंचा तो वहाँ कई और लोग भी बैठे थे. सुनंदा ने उन लोगों का अचल से परिचय कराया.

He is one of the brightest people in our company. He will be handling a major part of your account from today onwards.”

अचल ने एक-एक करके सबसे हाथ मिलाया. फिर वो सुनंदा के बगल में जाकर सोफे पर बैठ गया. मीटिंग शुरू हुई और देर शाम तक चलती रही. मीटिंग ख़त्म होने के बाद अचल कमरे से निकला. ऑफिस के अधिकतर लोग जा चुके थे. केवल सुमना अपने डेस्क पर बैठकर कुछ काम कर रही थी.

अचल की नज़र सुमना की गर्दन पर टिक गयी. गोरी और सुराही जैसी गर्दन उसके बॉय-कट बालों के पीछे साफ़-साफ़ दिख रही थी. अचल जानता था कि लडकी के गर्दन का पिछला हिस्सा बारूद के पलीते की तरह होता है. जब-जब उसने अपनी किसी पार्टनर के इस हिस्से को चूमा है, चाटा है या फिर काटा है, वो पागल हो उठी है.

तभी अचल ने ध्यान से देखा कि सुमना अपनी चेयर पर उसी तरह बैठी है, पर उसकी कमर के ऊपर कोई कपड़ा नहीं है. वो पीछे से सुमना तक पहुंचता है और सुमना की गर्दन के पिछले हिस्से को सूंघना शुरू करता है. धीरे-धीरे उसकी नाक की नोंक सुमना के बैकबोन के के पहले बॉल को छूते हैं, फिर वो एक एक हल्की सांस लेता है जिससे सुमना की त्वचा से निकलने वाली गंध उसके शरीर में भर जाती है. फिर वो नाक को उसकी गर्दन के हरेक बिंदु पर फिराता है और सूंघता जाता है.

सुमना भी आँखें बंद करके इसका पूरा आनंद लेने लगती है और सोचने लगती है कि अचल अब आगे क्या करेगा. पर अचल कुछ और नहीं करता, धीरज रखते हुए सिर्फ सूंघता जाता है. सुमना मन ही मन उससे प्रार्थना करती है कि अब वो आगे कुछ करे नहीं तो वो खुद कुछ करने पर मजबूर हो जायेगी. और तब अचल अपने भीगे होठों से उसकी गर्दन को हलके-हलके चूमने लगता है. कुछ पलों के बाद अपनी जीभ निकाल हर उसके कान के पीछे के हिस्से को चाटने लगता है. उसकी जीभ की नोक एक छुरी की तरह तेज़ और मजबूत है जिससे वो सुमना के कान में और गर्दन के नज़दीकी हिस्से में खरोंच डालकर रहेगा.

सुमना के अब बस में कुछ भी नहीं रहता, और वो अचल के दोनों हाथों को पकड़कर अपने स्तनों पर डाल देती है. अचल उसके स्तनों को पकड़कर बड़े प्यार से दबाने लगता है. सुमना के स्तन छोटे हैं और छोटे स्तनों की खासियत होती है कि वो काफी कड़े हो जाते हैं जो कि अचल को बहुत पसंद है. अब अचल के हाथों और दांतों में थोड़ी बेरहमी आ जाती है. वो अपने दाँतों को उसकी गर्दन में गड़ाता है मानो काट खायेगा. साथ ही साथ वो उसके स्तनों को बुरी तरह से मसलने लगता है मानो आटा गूंथ रहा हो.

और तब सुमना अचल के हाथों को पकड़कर अपने निपल्स पर ले आती है. एक पल के लिए अचल को लगता है कि उसकी हथेलियों में कंचे आ गए हैं. इतने कड़े निपल्स; अचल का बस चले तो उनको दाँतों से चबा डाले और पता भी न चले कि उन गोरे, चिकने और संगमरमर की तरह कड़े स्तनों पर कभी निपल्स भी हुआ करते थे.

अचल पूरे पागलपन के साथ सुमना के स्तनों को मसले जा रहा है. वो भी गर्दन पीछे घुमाकर अचल के होठों को चूमने लगी है. सुमना की हरकतों से लगता है कि उसने अचल की जीभ को अपना बना लिया है और उसे कभी छोड़ेगी भी नहीं. पर वो दोनों अब अकेले नहीं हैं.  ऑफिस की बाकी सारी लडकियां पूरी तरह नंगी होकर उन दोनों को देखे जा रही हैं और इंतज़ार कर रही हैं कि सुमना के बाद उनका नंबर कब आयेगा. कुछ तो इतनी बेचैन हो गयी है कि अपनी उंगली अपनी पुसी में डालकर इधर-उधर घुमाने लगी हैं. अपनी गीली पुसी को अचल को दिखाकर मानो उसे अपने पास बुला रही हों कि हमें ऐसे चोदो जैसे आज तक किसी ने न चोदा हो.

और तभी किसी ने अचल के कंधे पर पीछे से हाथ रखा. अचल ने मुड़कर देखा तो ऑफिस का सेक्युरिटी गार्ड खडा था. न आस-पास कोई लडकी थी, न सुमना अपनी सीट पर बैठी थी. पूरा ऑफिस खाली हो गया था.

“सर, ऑफिस बंद करने वाला हूँ. आप रुकेंगे क्या?” गार्ड ने पूछा.

“नहीं. मैं भी निकल रहा हूँ.” अचल अपने सपने से बाहर आ गया था. उसकी आवाज़ में थोड़ा गुस्सा था. सपने टूटने पर गुस्सा तो आता ही है.

तभी उसके सेलफोन ने vibrate किया. उसने देखा कि सुनंदा का SMS आया हुआ था, “11:30 sharp.” अचल को अंदाजा नहीं था कि आज वो सुनंदा की क्या गत बनाने वाला है.